नाकामयाबी

नाक़ामयाब होना भी काफ़ी है
सकूँ मिलता है
ख़ुद को नही शायद दीवारों को
सिमटी है जहाँ क़ैद होकर जिंदगी
ग़ुलाम है सभी फिर भी
कोशिश करते है हज़ार हर कोई
मैंने भी सीखी हैं
नाक़ामयाबी
महॅंगी हैं कीमत है सपनों की
बनाती है पक्की ईंट मुझकों भी
वही दीवार सी होकर
जहाँ क़ैद है जिंदगी ।।

नाक़ामयाब होना भी है काफ़ी
बहुत कुछ लगता है हिम्मत भी ।